Sonia Jadhav

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लेख इयर कविता प्रतियोगिता- 3) आम आदमी

कविता का शीर्षक- आम आदमी

मैं भारत का आम आदमी हूँ,
मेरी याद अक्सर राजनीतिक पार्टियों को,
चुनाव लड़ने के वक़्त आती है।

मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी और रोजगार का लॉलीपॉप देने की कवायद में मुझे,
हर पार्टी एक दूसरे से भिड़ जाती है।

बजट बनते हैं ध्यान में रखते हुए मुझे,
हर रणनीति का केन्द्र,
मैं ही होता हूँ।

वक़्त के साथ सरकारें बदल जाती हैं,
लेकिन कुछ बदलता नहीं तो,
वो है आम आदमी का नसीब।

वो कल भी महंगाई से खौफ खाता था,
वो आज भी महंगाई की मार से मरता है।
उसकी थाली में झूठे वादों के अलावा
टूटी हुई उम्मीदों का दर्द दिखता है।

❤सोनिया जाधव

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

14-Feb-2022 12:57 AM

बहुत बढ़िया लिखा आपने

Reply

बिल्कुल सही बात है, बहुत ही सुंदर कविता सोनिया 😊🙏🏻

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